धान के पराली ( पैरा )को खेतों में छोड़कर आग ना लगाये, उससे करे पैरा मशरूम की खेती…जानिए कैसे

मशरूम की खेती कैसे करें :- पुआल मशरूम (Volvariella volvacea) एक प्रकार का खाद्य मशरूम है। भारत में इसे ‘चीनी मशरूम’, धान पुवाल एवं गर्मी मशरूम के नाम से भी जाना जाता है। किसान भाई कई जगहों पर धान के फसल को काटने के बाद बचे हुए पैरा को आग लगा देते हैं। जिससे हमारे जीव, जंतु, भूमि एवं प्राकृतिक को भी नुकसान होती है। किसान भाई इस बचे पैरा को ना जलाकर पैरा मशरूम की खेती या पैरा कुट्टी से आयस्टर मशरूम की खेती कर अतरिक्त आमदनी ले सकते हैं।

छत्तीसगढ़ में मशरूम की खेती कैसे करें पूरी जानकारी ?

पैरा मशरूम खाली पड़े जगहों मे, बाग, बगीचों एवं खलहीयानो, घरों मे कृत्रिम रूप से उगाया जा सकता है, इसको अधिक तापमान की जरूरत होती है | ये सबसे स्वादिष्ट और पौष्टिक मशरूम होता है इसमें प्रोटीन भी सबसे ज्यादा पाया जाता है, मशरूम कई बीमारियों एवं कुपोषण को भी दूर करने मे बहुत बड़ा है अहम भूमिका निभा रहा है ये हर प्रकार के पोषक तत्वों से परिपूर्ण होता है |

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अगर आप मशरूम खाने के शौकीन है तो कही भी आपको भटकने की जरूरत नहीं है, क्योंकि छत्तीसगढ़ में कई जिलों में इनकी काफी ज्यादा मात्रा में पैदावार हो रही है. बरसात में प्राकृतिक रूप से सरई के पेड़ से निकलने वाले बोड़ा की कीमत सर्वाधिक 500 रूपये से लेकर 3000 रूपये किलो तक मांग के अनुरूप होती है.

युवा मशरूम कल्टीवेशन एक्सपर्ट उत्तम पटेल जी ने पैरा मशरूम उगाने का सही समय और अधिक उत्पादन हेतु सुझाव दिए हैं।

भारत मे धान पुवाल मशरूम माह अप्रैल के मध्य से माह सितम्बर तक उगाई जाती है तथा इस मशरूम को प्राकृतिक रूप से सड़े गले धान के पुवाल मे जुलाई से सितंबर तक पाई जाती है | जलवायु की आवश्यकताए:इसके लिए तापमान बीज फैलाव हेतु (सेल्सियस)32-38, एवं फलन हेतु (सेल्सियस) 28-32 तथा नमी 80-85% तक होनी चाहिए। आवश्यक सामग्री :धान का पुआल : पैरा मशरूम की खेती में धान का पुआल सबसे महत्वपूर्ण है । यह धान के पौधे का उप-उत्पाद है। बिस्तर सामग्री के लिए इस्तेमाल किया जाता है। 1.5 फीट लंबे एवं 1/2 फिट चौड़े बंडल 1-2 किलो ग्राम पैरा बंडल की 16 से 20 बंडल की 1 बेड बनाने के लिए जरूरत होती है। मशरूम स्पॉन : ‘स्पॉन’ या ‘मशरूम बीज पूरी प्रक्रिया की पहली आवश्यकता है। हमेशा उस पर सफेद माइसेलियम के साथ स्वस्थ स्पॉन खरीदें अवांछित रंग जैसे, गहरे भूरे, काले और हरे रंग के साथ स्पॉन को त्यागें।

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फॉर्मेलिन और कैल्शियम कार्बोनेट : पैरा को उपचारित करने के लिए 100 लिटर पानी के लिए 135 मिलीलीटर फॉर्मेलिन एवं कैल्शियम कार्बोनेट पैरा के पी. एच. को कम करने के लिए 100 लिटर पानी में 200 ग्राम डाला जाता है। बेसन (चना/ लाकडी)-150 से 200 ग्राम प्रति बेड पारदर्शी पॉलीथीन शीट : पॉलिथीन शीट का उपयोग स्पॉन वाले मशरूम बेड को ढंकने के लिए किया जाता है। पानी की टंकी या प्लास्टिक ड्रम : जरूरत के हिसाब से पानी की टंकी का आकार और संख्या बढ़ाई जा सकती है। 12x4x2 फीट के मानक आकार के टैंक को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। सीमेंट और ईंटों का उपयोग करके एक स्थायी टैंक का निर्माण किया जाता है।

पानी का स्रोत : हमेशा साफ पानी का उपयोग करें।कुंआ बोरवेल, नदी का ताजा पानी, मीठे पानी का अन्य स्रोत।

पैरा मशरूम उगाने की विधि:-1

खुले में पैरा मशरूम की खेती इस विधि से खेती करने के लिए 100cm लंबी x60 cm चौड़ी x15-20 cm ऊंची ईंटों की या क्यारियाँ बनाते हैं |सीधी धूप तथा बारिश से बचाने के लिए इसके ऊपर शेड बना दिया जाता है |बाहरी खेती में बारिश, हवा और / या उच्च तापमान के संपर्क में आने के जोखिम होते हैं, जो उपज को कम करते हैं।

विधि-2.

कमरे के अंदर पैरा मशरूम की खेती :- कमरे के अंदर बाँस या लोहे के एंगल से रैक बनाये | एक के ऊपर एक 45-50 cm ऊंची चार रैक बनाये और सबसे नीचे वाली रैक जमीन से 20-30 cm ऊपर होनी चाहिये इस विधि मे एक विशेष प्रकार के कंपोस्ट खाद तैयार की जाती है यह महंगी विधि है।

1.धान पैरा के 1.5 फीट लंबे एवं 1/2 फिट चौड़े बंडल 1-2 किलो ग्राम के एक बंडल तैयार करे उस बंडल के दोनों किनारे को बांधे रखे | एक क्यारी बनाने के लिये 12-16 बंडल की जरूरत होती है।
2. इस बंडल को 14-16 घंटों तक 200 ग्राम कैल्शियम कार्बोनेट, 135 मि. ली. फार्मेलिन प्रति 100 लीटर साफ पानी मे भिगाते है उसके बाद पानी को निथार देते हैं।

3. उपचारित बंडलो से पानी निथार जाने के 1 घंटे बाद प्रति बेड 120-150 ग्राम पैरा मशरूम की बीज मिलाते हैं। बिजाई करते समय
4 बंडल को आड़ा बिछाकर उसके किनारे मे बीज डालते है और उसमे थोड़ा बेसन उसके ऊपर 4 बंडल को तिरछा बिछाते है फिर उसके बाद बीज और बेसन मिलाते हैं ऐसे ही 4 परत तक इस विधि को दोहराते हैं | तब कहीं जाकर एक क्यारी बनता है |

4. बीज युक्त बंडलो को अच्छी तरह से चारों ओर से पालीथीन से 6-8 दिनों के लिये ढंक देते हैं।
5. कवकजाल फैल जाने के बाद पालीथीन सीट को हटाया जाता है उसके बाद 5-6 दिनों तक हल्का पानी का छिड़काव सुबह शाम करते
6. पैरा मशरूम की कलिकाये 2-3 दिन मे बनना प्रारम्भ हो जाती है।
7.4-5 दिनों के भीतर मशरूम तुडाई के लिए तैयार हो जाती है|

कीट और रोग की समस्या:-

तापमान, धूप, पानी, ऑक्सीजन (02), और कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) सहित पर्यावरण के लिए पैरा मशरूम बहुत संवेदनशील है। तापमान में अचानक बदलाव से मशरूम की वृद्धि में बाधा आ सकती है। अंडे बनने के चरणों तक सूर्य के प्रकाश की आवश्यकता होती है।

रोग :-ग्रीन मोल्ड ( वर्टिसिलियम कवकगोला), नारंगी मोल्ड (न्यूरोस्पोरा एसपीपी।), प्लास्टर मोल्ड (स्कोपेरुलोप्सिस फिमिकोला ),सेलेरोटियम रॉल्फसी, आदि प्रभावित करने वाले विशिष्ट रोग हैं।

बचाव :- नमी और तापमान की विशेष ध्यान देना चाहिये | कीट एवं रोग के लिये बेड के आसपास साफ सफाई एवं दीवाल और जमीन के ऊपर फार्मेलिन की छिड़काव 15-15 दिनों के अन्तराल पर करना चाहिए | रोगों को 0.5-1% concentration के साथ चूने या
पोटेशियम परमैंगनेट (KMnO 4) या एसिटिक एसिड (40%) के पानी के उपयोग से रोका जा सकता है |यदि रोग गंभीर है, तो इसका
इलाज कवकनाशी द्वारा किया जा सकता है, जैसे कि बेनोमाइल 0.1%, 7% ज़िनेब, या कार्बेन्डीजिम 0.1%, के लिए और वैलिडासिन
(सेलेरोटियम रॉल्फसी रोग)को नियंत्रित करता है | कीट की बचाव के लिए लाइट ट्रैप का उपयोग करे साथ ही साथ कीटनाशक लिंडेन  या डाइक्लोरोवाश 0.2% का छिड़काव फर्श और दिवार पर करना चाहिए। चूहा से बचाव के लिए देसी विधि जैसे चूहा जाली का उपयोग करे |

अनचाहे मशरूम / इंकीकैप (कोप्रीनस प्रजाति) –

भारत में धान के पुआल मशरूम की खेती में एक तरह की खरपतवार हैं। कॉपरिनस प्रजाति के कारण होने वाली क्षति, धान के पुआल मशरूम में सबसे बड़ी समस्या है। स्ट्रॉ मशरूम की तुलना में छोटी अवधि (1 सप्ताह) में अपने जीवन चक्र को पूरा करता है। इंकीकैप शुरू में लंबे, पतले और सफेद होते हैं और बाद में काला रंग के होकर इसका कैप खुल जाता है जिससे असंख्य बीजाणु निकलते हैं।
जिससे पैरा मशरूम की बेड में फैल जाता है और बीज के कवकजाल को फैलने से रोकता है जिससे उपज में कमी या फिर मशरूम उगते ही नहीं

कारण – पैरा के बंडल का सही तरीका से पाश्चरीकरण का ना होना।

नमी का कम ज्यादा होना और तापमान का प्रबंधन अच्छा से नहीं कर पाने के कारण होता है।

प्रबंधनः
सब्सट्रेट की नमी को 60 से 65 प्रतिशत के बीच रखा जाना चाहिए, क्योंकि उच्च नमी कोप्रीनस की वृद्धि का बढ़ावा देता है। इंकीकैप शुरू में दिखाई दे तो तुरंत निकालकर उसे गढ्ढा खोद कर मिट्टी में दबा देना चाहिए। पैरा के बंडल का सही तरीका से पाश्चरीकरण करने से नियंत्रित करने के लिए सबसे प्रभावी उपायों में से एक है। पैरा के बंडल को गर्म या भाप विधि से उपचारित करना चाहिए। कार्बेन्डाजिम (75 पीपीएम) और फॉर्मेलिन (500 पीपीएम) मिश्रित भूसे के बंडलों को 10 मिनट के लिए मिश्रित करने से पहले पुआल के आंशिक कीटाणुशोधन का उपयोग बीमारियों और मोल्ड को कम करने के लिए भी किया जाता है। पैरा मशरूम की खेती में होने वाली बीमारियों और मोल्ड के प्रबंधन के लिए ज़िनब (0.2%) या कैप्टान 0.2%) के पुआल और छिड़काव करके रोका जा सकता है।

  • उपज – प्रति बेड 3-5 किलो तक प्राप्त होती है।
  • फसल चक्र-40-45 दिनों की होती है।
  • भंडारण – रेफ्रिजरेटर मे 2-3 दिन तक रख सकते हैं।
  • मुल्य – लगभग 150-200 रू. प्रति किलो ग्राम की दर से
    बिकता है।
  • आय – शुद्ध मुनाफा प्रति बेड लगभग 350 से 450 रुपये होती है |

मशरूम का बीज कहाँ से मिलेगा ?

इसके बारें में अधिक जानकरी के लिए आप निचे दिए गये मोबाइल नंबर से सम्पर्क करसकते हैं आपकी पूरी हेल्प की जाएगी !

अधिक जानकारी के लिए आप बिलासपुर मशरूम संस्थान को संपर्क कर सकते हैं।

संस्थापक व संचालक ?
उत्तम पटेल
?  7389397225

बिलासपुर मशरूम लैब एण्ड ट्रैनिंग सेन्टर, अशोक नगर सरकण्डा, बिलासपुर(छग) 495001

? _धन्यवाद_?
_सबसे सस्ता नही सबसे अच्छा_
_मशरूम स्पान तुरंत बुक कराये।।_
_आओ मिलकर मशरूम लगाये_
_अधिक लाभ कमाये।।_

अधिक जानकारी हेतु

Uttam Patel
? 7389397225

(YouTube:- Bilaspur_Mushroom)

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